धुँए में जीवन राही अंजाना 7 years ago तू जला कर मुझे धुंए के छल्ले बना कर खुश है, तो मैं भी खुश हूँ हर रोज तुझे झुलसता देख कर, तू सुलगाकर मुझे दे रहा है हर लम्हा हवा, तो मैं भी निगल रही हूँ तुझे तेरी ज़िन्दगी घुला कर।। राही (अंजाना)