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धुँए में जीवन

तू जला कर मुझे धुंए के छल्ले बना कर खुश है,
तो मैं भी खुश हूँ हर रोज तुझे झुलसता देख कर,
तू सुलगाकर मुझे दे रहा है हर लम्हा हवा,
तो मैं भी निगल रही हूँ तुझे तेरी ज़िन्दगी घुला कर।।
राही (अंजाना)

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