नारी तुम पर कविता लिखने को
वर्णांका असफल है मेरी
तुम तो जीवन की जननी हो
सब कुछ तो तुम ही हो मेरी।
माँ बनकर जन्म दिया मुझको
यह सुन्दर सा संसार दिखाया,
अच्छी-अच्छी शिक्षा देकर
मानव बनने की ओर बढ़ाया।
दीदी बनकर स्नेह लुटाया
बहन बनी, खुशियों को सजाया
दादी बनकर लोरी गाई
नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया।
भार्या का रूप मधुर धर कर
जीवन में नईं खुशी लाई,
सारा भार स्वयं पर लेकर
पीड़ा में भी मुस्काई।
बेटी बनकर घर आंगन में
रौनक की किलकारी भर दी
बेटों की बराबरी करके
सब ओर नींव नई रख दी।
तुम पर कविताएं लिखना
सूरज को दिया दिखाना है,
तुम सूरज हो इस जीवन की
तुम पर नतमस्तक होना है।