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नारी

स्त्री ऐसी वाणी है हर भाग में पायी जाती है
ये तो ऐसा गीत है जो हर राग में गाई जाती है

पिता और भाई के संरक्षण में रहती है
संरक्षण में वह रहती है,शासन में सब सहती है

विवाहोपरान्त नारी ससुराल में आ जाती है
अपने कर्मों से दोनो कुल की लाज बचाती है

नारी का यौवन अंग-अंग बदले हैं पल-पल रंग-ढंग
कभी ज्वाला सी कभी भाला सी कभी नीर पाई जाती है

यह तो ऐसा गीत है जो हक से अपनाई जाती है

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