निकल कर ख़्वाबों से बाहर मेरे ख्वाब आना चाहते हैं राही अंजाना 6 years ago निकल कर ख़्वाबों से बाहर मेरे ख्वाब आना चाहते हैं, हकीकत के आईने में मानो चेहरा आप लाना चाहते हैं, रहे हों जो अँधेरे की बाहों में कैद बेसुध मुसलसल, आज रौशनी के समन्दर में वो खुले आम आना चाहते हैं।। – राही (अंजाना)