निकल कर ख़्वाबों से बाहर मेरे ख्वाब आना चाहते हैं
निकल कर ख़्वाबों से बाहर मेरे ख्वाब आना चाहते हैं,
हकीकत के आईने में मानो चेहरा आप लाना चाहते हैं,
रहे हों जो अँधेरे की बाहों में कैद बेसुध मुसलसल,
आज रौशनी के समन्दर में वो खुले आम आना चाहते हैं।।
– राही (अंजाना)
Bahut khub
Thank you
वाह