Site icon Saavan

निज को परख

हद में रह
ज्यादा न बोल
फट जाए कहीं
जैसे कोई ढोल

बड़ा या छोटा
समझ तो रख
तूं है क्या
निज को परख

पिता हैं तेरे
आंखें न‌ दिखा
पुत्र तैयार खड़ा
तेरा लौटाने को

नीचे ही‌ बहती
तट तालाब सभी
पेय ऊपर फेंकी
शक्ल नीचे अभी

आदर देकर ही
सबका हो पायेगा
स्वयं में खोकर
सब कुछ गंवाएंगा

Exit mobile version