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नियति

पलक झपकते ही
खो हो गए कितने ही मुस्कुराते चेहरे,
जो कल तक थे हमारी कहानी का हिस्सा
जैसे किसी चलचित्र में क्षण में बदल जाते हैं दृश्य…!!

कितना कुछ बाक़ी रह गया
जो कहा जाना था
जो सुना जाना था..!!
जिसे टाल दिया गया आने वाले कल पर,
वो अब रहेगा सदा ही मन के धरातल पर
ग्लानि का पर्वत बन कर..!!

किसी का अचानक चले जाना
संकेत है कि स्वघोषित ईश्वर मानव
वास्तव में कितना बौना है अपनी नियति के आगे..!!

©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
(12/05/2021)

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