नभ में तारे चमक रहे हैं,
चन्द्रमा भी दमक रहे हैं।
निशा की है शान निराली,
सुबह के गए घर लौट रहे हैं।
पंछी भी वापस नीड में आए,
निशा की गोद में चैन पाएं।
दिन भर की थकन से चूर जनों को,
निशा अपने आलिंगन में सुलाए।
निशा में नभ की छटा निराली,
निहार मुग्ध हो रही मैं तो आली।
अनगिन तारे देख आभास हो रहा,
मानो नभ मना रहा दीवाली॥
_____✍गीता