Site icon Saavan

*नेह तुम्हारा*

उस रात बहुत रोई थी,
बहुत देर में मैं सोई थी।
स्वप्न में तुम्हें बुला कर,
कांधे पर सर रखकर,
रोते-रोते सोई थी
मैं उस रात बहुत रोई थी।
यह था नेह तुम्हारा,
एक बार मेरे कहने पर
तुम मेरे ख्वाबों में आए,
आकर मुझे सहलाया था,
थोड़ा सा बहलाया था
लब मेरे मासूम थे मुस्कुरा उठे,
पर नयनों ने नीर बहाया था।
अश्रु लुढ़क पड़े थे गालों पर,
अश्रु से ही मुख धोई थी,
उस रात मैं बहुत रोई थी।।
_____✍️गीता

Exit mobile version