कौन कहता है कि बारिश थम गई
नैन में अब भी घुमड़ते मेघ हैं,
रो रहा आकाश शायद अब नहीं
यूँ तड़पती बून्द परिचय दे रही।
जिंदगी सुनसान सड़कों सी बनी
लालसाएँ ढेर सारी शेष हैं।
और कुछ हो या न हो इतना तो है
बस इरादे आज भी सब नेक हैं।
कौन कहता है कि बारिश थम गई
नैन में अब भी घुमड़ते मेघ हैं,
रो रहा आकाश शायद अब नहीं
यूँ तड़पती बून्द परिचय दे रही।
जिंदगी सुनसान सड़कों सी बनी
लालसाएँ ढेर सारी शेष हैं।
और कुछ हो या न हो इतना तो है
बस इरादे आज भी सब नेक हैं।