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नज़र ..

प्रेम  होता  दिलों  से  है फंसती  नज़र ,

एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र,

जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र,

फिर तुम्हारी नज़र और हमारी नज़र,

बन गयी एक नज़र, हो गयी एक नज़र.

ये तुम्हारी नज़र या हमारी नज़र,

ये हमारी नज़र या तुम्हरी नज़र .

बस तुम्हारी नज़र , बस हमारी नज़र,

न तुम्हारी नज़र न हमारी नज़र ,

मैं तुम्हारी नज़र , तुम हमारी नज़र ,

देखता हु जिधर तू ही आये नज़र ,

है ये कैसी नज़र ,है ये जैसी नज़र,

या है मेरी नज़र या तुम्हारी नज़र ,

ये तुम्हारी नज़र में हमारी नज़र ,

ये हमारी नज़र में तुम्हारी नज़र ,

जो है मेरी नज़र , वो है तेरी नज़र ,

जो है तेरी नज़र ,वो है मेरी नज़र,

देख तुम एक नज़र , देखूं मैं एक नज़र,

प्रेम होता दिलों से है फंसती नज़र..

 

नज़रों का खेल अनोखा है,

फिर भी इसमें धोखा है..

फिर तुम्हारी नज़र न हमारी नज़र …

 

…atr

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