ठीक कहा तुमने
पायें यदि मानव तन
अगले जनम में,
या बनें, कीट, पतंग,
जंगली जानवर,
अपनों के बीच
अपने हो सकने वालों
के बीच ही जनम पायें।
न जुदाई का भय हो
न दूर चले जाने का गम
न परम्परा की बंदिशें हों
न रूढ़ि की रूढ़िवादिता हो।
बस एक हो पाने में
सरलता ही सरलता हो।