दोष नहीं दर्पण का थोड़ा
सदा सत्य दिखलाता है।
कपटी क्रूर कपूत घमण्डी
दर्पण को दोषी कहता है।।
सत्य असत्य के चक्कर में
पत्थर से पंगा मत लेना।
देख ‘विनयचंद ‘सीसा हो तुम
इसको मत भुला देना।।
दोष नहीं दर्पण का थोड़ा
सदा सत्य दिखलाता है।
कपटी क्रूर कपूत घमण्डी
दर्पण को दोषी कहता है।।
सत्य असत्य के चक्कर में
पत्थर से पंगा मत लेना।
देख ‘विनयचंद ‘सीसा हो तुम
इसको मत भुला देना।।