पराई राही अंजाना 4 years ago दिल से अपनी मगर धकड़न से मैं पराई हूँ, न जाने किस घड़ी में, इस घर में मैं आई हूँ, आँखों ही आँखों में आँखों में मैं घिर आई हूँ, सबकी अपनी मगर न जाने कैसे मैं पराई हूँ।। राही अंजाना