“पश्चाताप की चादर” Pragya 3 years ago मैं फिर से नींद के आगोश में जाना चाहती हूँ तेरे नैनो के गंगाजल से गंगा स्नान करना चाहती हूँ मैं हूँ पतित, पापों की गगरी हूँ अपने गुनाहों को पश्चाताप की चादर में छुपाना चाहती हूँ।।