जब तलक राह में आपके
गम की छाया न हो तब तलक,
आप महसूस कैसे करोगे
स्वाद इसका है बिल्कुल अलग।
जब तलक कोई ठोकर तुम्हें
गिराती नहीं भूमि पर,
तब तलक किस तरह इल्म होगा
अश्फाक भी है जरूरी।
पीड़ महसूस हो दूसरे की
आवश्यक है सभी के लिए
आदमियत की आजिम बढ़ाकर
सुर्ख करती सदा के लिए।