पुकार रहा है
जरूरतमंद तुम्हें
आओ मदद करो मेरी,
बेरोजगारी का समय है,
कोविड के कारण
छिन गया है रोजगार,
शहर में कमाता था दो चार
वो बंद हो गया
गाँव लौट आया,
यहाँ भी तो छोड़ा हुआ घर
टूट गया था,
जैसे तैसे छत जोड़कर
दिन काट रहा हूँ बरसात के।
मदद करो जरूरतमंद की
पुकार रहा है
जरूरतमंद तुम्हें।