पुकार रहा है
पुकार रहा है
जरूरतमंद तुम्हें
आओ मदद करो मेरी,
बेरोजगारी का समय है,
कोविड के कारण
छिन गया है रोजगार,
शहर में कमाता था दो चार
वो बंद हो गया
गाँव लौट आया,
यहाँ भी तो छोड़ा हुआ घर
टूट गया था,
जैसे तैसे छत जोड़कर
दिन काट रहा हूँ बरसात के।
मदद करो जरूरतमंद की
पुकार रहा है
जरूरतमंद तुम्हें।
उत्तम भाव
धन्यवाद शास्त्री जी
आज के परिप्रेक्ष्य का यथार्थ चित्रण
सादर आभार
आजकल यही है।
🙏
nice
thanks
Good
Thanks