मनोहर शाम है
छितरे हुए हैं व्योम में घन
टपकती बूँद के अहसास से
पुलकित हुआ तन।
लग रहे हैं बहुत खुश पेड़-पौधे
उग रहे हैं अनेकों बीज
दे रहा भानु उनको ताप
गगन भी दे रहा है सींच।
मनोहर शाम है
छितरे हुए हैं व्योम में घन
टपकती बूँद के अहसास से
पुलकित हुआ तन।
लग रहे हैं बहुत खुश पेड़-पौधे
उग रहे हैं अनेकों बीज
दे रहा भानु उनको ताप
गगन भी दे रहा है सींच।