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पुलवामा शहीदों को नमन

याद है हमको प्रेम दिवस ऐसा भी एक आया था!
थी रक्तरंजित वसुंधरा, और आकाश थरथराया था!!

एक कायर आतंकी ने घोंपा था सीने पर खंजर!
ख़ून बहा कर वीरों का, बदला था वादी का मंजर!!

चालीस जवानों का काफ़िला चीथड़ों में बदल गया!
था ऐसा वीभत्स नज़ारा कि हृदय देश का दहल गया!!

गूँजी दसों दिशाओं में माताओं की भीषण चीत्कारें!
ख़ून नसों का उबल गया, आँखो से थे बरसे अंगारे!!

भारत की रूह पे दुश्मन ने गहरा ज़ख्म लगाया था!
लेकिन वीरों की हिम्मत को डिगा नहीं वो पाया था!!

भारत के जांबाजों ने भी फिर ऐसा पलटवार किया!
दुश्मन के घर में घुसके आतंकियों का संहार किया!!

सैनिक जब अस्त्र उठाता है, तब देश सुरक्षा पाता है!
वो देश के मान की रक्षा में सरहद पर शीश कटाता है!!

प्रेमोत्सव मनाने वालों सुनो, जी भर जश्न मनाना तुम!
जो मिटे हैं देश की रक्षा में ,उनको भूल न जाना तुम!!

©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
(14/02/2021)

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