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पैरों तले होंगे आसमां कितने?

आज उनकी गली में उजाले होंगे
जमीं पर पर बिखरे
अनगिनत सितारे होंगे
पैरों तले होंगे आसमां कितने?
नजरों में जन्नत के नजारे होंगे
कितनी मसरूफ है जिंदगी अपनी
उनके जहां में सुकून के
आलम ढेर सारे होंगे
हमसे गमों का बोझा ढोया नहीं जाता
वह खुशियां कितनी शिद्दत से
धागे में पिरोते होंगे।

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