पौष पूर्णिमा के चंद्र देखो,
नभ में कैसे चमक रहे हैं।
सर्द रातों में चांदनी सहित,
देखो ना कैसे दमक रहे हैं।
चांदनी भी ठंड में सिमटी सी जाए,
चंद्र उसको देख-देख मुस्काएं।
यह ठंड का असर है या हया है,
ये तो चांदनी ही बतला पाए।
चंद्र रीझे जाते हैं अपनी चांदनी पर,
चांदनी भी इठलाती जाए।।
____✍️गीता