पौष पूर्णिमा के चंद्र
पौष पूर्णिमा के चंद्र देखो,
नभ में कैसे चमक रहे हैं।
सर्द रातों में चांदनी सहित,
देखो ना कैसे दमक रहे हैं।
चांदनी भी ठंड में सिमटी सी जाए,
चंद्र उसको देख-देख मुस्काएं।
यह ठंड का असर है या हया है,
ये तो चांदनी ही बतला पाए।
चंद्र रीझे जाते हैं अपनी चांदनी पर,
चांदनी भी इठलाती जाए।।
____✍️गीता
Very nice
Thanks for your precious compliment chandra ji
पौष पूर्णिमा के चंद्र देखो,
नभ में कैसे चमक रहे हैं।
सर्द रातों में चांदनी सहित,
देखो ना कैसे दमक रहे हैं।
———– पूर्णिमा के चाँद पर कवि गीता जी की बहुत सुंदर रचना।
लाजवाब अभिव्यक्ति।
इतनी सुंदर समीक्षा हेतु अभिवादन हार्दिक धन्यवाद सतीश जी, अभिवादन सर
बहुत सुन्दर
धन्यवाद सुमन जी
बहुत खूब
सादर धन्यवाद भाई जी 🙏
Thank you bhai