प्यारे से पल Satish Chandra Pandey 3 years ago जल बरसा आकाश से, तृप्त हो गई भूमि, पौधे फिर से जी उठे, हरी हो गई भूमि। हरी हो गई भूमि, आज रौनक प्यारी लिख, उग आई खुशहाली लेकर सुन्दर नख-शिख। कहे लेखनी रंग भरे प्यारे से यह पल, ओस रूप में मोती बन बिखरा सा है जल।