प्यारे से पल

जल बरसा आकाश से, तृप्त हो गई भूमि,
पौधे फिर से जी उठे, हरी हो गई भूमि।
हरी हो गई भूमि, आज रौनक प्यारी लिख,
उग आई खुशहाली लेकर सुन्दर नख-शिख।
कहे लेखनी रंग भरे प्यारे से यह पल,
ओस रूप में मोती बन बिखरा सा है जल।

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Responses

  1. बारिश के सौन्दर्य का बहुत ही खूबसूरत चित्रण प्रस्तुत किया है आपने अपनी कविता में। छंद शैली में बहुत ही सुन्दर और उम्दा रचना

  2. जल बरसा आकाश से, तृप्त हो गई भूमि,
    पौधे फिर से जी उठे, हरी हो गई भूमि।
    हरी हो गई भूमि, आज रौनक प्यारी लिख,
    उग आई खुशहाली लेकर सुन्दर नख-शिख।

    अति सुंदर रचना

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