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प्रतिकार करना है

रोना नहीं है तुम्हें
प्रतिकार करना है,
बुरी नजर से देख पाये नहीं
कभी कोई ,
तुम्हें बन दुर्गा, महाकाली
दुष्ट दल को मसल कर रखना है।
तुम्हारी राह तब तक
है नहीं महफूज जब तक
खुद के भीतर
जगा चंडी जगा काली
नहीं मर्दन करोगी।
तुम्हारी निरीह बोली
नहीं कोई सुनेगा
जब तलक नहीं तुम गर्जन करोगी।
दया का, धरम का
लोप सा हो गया है,
निर्लज्जता की व्याप्ति है सब तरफ,
संवेदना में जम गई है धूल की परत।
वासना में विक्षिप्त कर रहे हैं
नजरों से प्रहार,
निकाल ले चंडी बन तलवार
रोना नहीं है करना है गलत का प्रतिकार।

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