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प्रदूषण और ज़िन्दगी

प्रदूषण बढ़ रहा है,
ज़िन्दगी हो रही है
धुआं-धुआं सी,
सांसों में घुटन है,
अशुद्ध सी पवन है
ज़िन्दगी हो गई है
धुआं-धुआं सी,
ना साफ-साफ कुछ,
देता है दिखाई
ना साफ-साफ सी सांसें
ही आईं
ये कैसी घुटन है,
धुआं-धुआं सी,
दूर से लगता है
धुंध सी छाई
कुछ देता नहीं दिखाई,
ज़िन्दगी हो रही है,
धुआं-धुआं सी..

*****✍️गीता

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