Site icon Saavan

प्रीत है मेरी राधा जैसी..

गर पढ़ते हो जिस्म मेरा
तो सुन लो
क्या तुम इस लायक हो!
दर्द दिया करते हो मुझको
चैन नहीं आने देते
पढ़ते हो बस रूप मेरा
कभी रूह में क्यों नहीं झांकते !
हाँ, मेरे रूप से ज्यादा सुंदर
रूह है मेरी देखो ना !
पढ़ते हो तुम जिस्म के पन्ने
रूह को पढ़कर देखो ना !
प्रीत है मेरी राधा जैसी
मीरा जैसी इबादत करती हूँ
तू इतना है बेदर्दी
फिर भी तुझे मोहब्बत करती हूँ..

Exit mobile version