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प्रेम करुणा, प्रेम ममता

प्रेम क्या है क्या बताएं
पूछते हो तो सुनो,
प्रेम जीवन प्रेम माया
प्रेम सब कुछ है सुनो।
प्रेम करुणा, प्रेम ममता
प्रेम चाहत है सुनो,
प्रेम दिल को जोड़ता है
प्रेम बंधन है सुनो।
प्रेम भाषा ज्ञान से भी
है पुरानी भावना
प्रेम की भाषा मधुर है
प्रेम है संभावना।
प्रेम हो तो हर कोई
सौ साल जीना चाहता है,
प्रेम का रसपान करना
हर कोई मन चाहता है।
जुड़ रहे नाजुक दिलों की
भावना ही प्रेम है,
स्वार्थ के बिन दूसरे को
चाहना ही प्रेम है।
प्रेम है दिखता नहीं
महसूस होता हमें,
सीखना पड़ता नहीं
खुद प्रेम होता है हमें।
प्रेम क्या क्या बताएं
खूब लम्बा है विषय,
बस कहो संक्षेप में यह
दो दिलों का है विलय।
—— डॉ0 सतीश चन्द्र पाण्डेय
——— चम्पावत, उत्तराखंड।

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