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प्रेम

चिरायु,चिरकाल तक रहने वाला चिरंतन है प्रेम,
निष्काम, निः संदेह निश्चल है प्रेम।
पुनरागमन, पुनर्जन्म ,पुनर्मिलन है प्रेम।

संस्कार, संभव संयोग है प्रेम,
लावण्य, माधुर्य, कोमार्य सा प्रेम।

निर्वाक,निर्बोध,निर्विकल्प है प्रेम,
यामिनी,मंदाकिनी, ज्योत्सना सा प्रेम।

यशगान,गंधर्वगान,स्वर लहरियों सा प्रेम।
स्खलित हुआ जो हृदय से
वेद ऋचाओं सा प्रेम।

जवाकुसुम, कुमुदनी,परिमल सा प्रेम
अक्षरक्ष‌:, पांडुलिपि, स्वर्णपल्लव सा प्रेम,

धड़कनों से अलंकृत मधुमास है प्रेम,
अविराम,अभिराम,आभरण है प्रेम।

आतप, अंगार, मनोज्ञ है प्रेम।
हृदय से प्रस्फुटित इन्द्रधनुष सा प्रेम,
मधुकंठ,सजल नयन,दिवास्वप्न सा प्रेम।

निमिषा सिंघल

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