फिर लगाने आग आये Indu Pandey 4 years ago बात ठंडी हो चुकी थी फिर लगाने आग आये सोचते हैं जो कहें हम सब करें स्वीकार उसको। दूसरों पर फेंक कीचड़ मत बनो यूँ पाक-साफ़ खुद की गलती देख लो पहले करो स्वीकार उसको।