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फुलझडियां

मनचले ने रुपसी पर, तंज कुछ ऐसा गढ़ा,
काश जुल्फ़ों की छांव में, पड़ा रहूं मैं सदा।
रुपसी ने विग उतार, उसे ही पकड़ा दिया,
ले रखले जुल्फ़ों को तू, पड़ा रह सदा सदा।।

फेसबुक की दोस्त को, बिन देखे ही दिल दे दिया,
जो भी मांगा प्रेयसी ने, आॅनलाईन ही भेज दिया।
एकदिन पत्नी के पास वही गिफ्ट देख चौंक गया,
उसकी पत्नी ही फ्रेंड थी, बेचारा मूर्छित हो गया।।

पत्नी से प्रताड़ित पति ने ईश्वर को ताना दिया,
क्या पाप किया मैंने जो इससे मुझे बांध दिया।
ईश्वर ने तपाक से भ्रमित पति को समझा दिया,
धैर्य रख अज्ञानी पुरुष, कई जन्मों का साथ है।।

कत्ल आंखों से करती हसीना, पर वो क़ातिल नहीं,
दिल हसीनाओं के चुराते हैं, पर चोर वो शातिर नहीं।
हर महिला में औरत है, कुछ पुरुषों में पुरुषार्थ नहीं,
मुकाम तक पहुंचाती सड़क, खुद कहीं जाती नहीं।।

राकेश सक्सेना, बून्दी (राजस्थान)

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