बहुत ही बखूबी से तुमने मुझे नज़रन्दाज़ किया,
जानते हुए भी मुझको क्यूँ अनजान किया,
जब खामोश मोहब्बत ही हमारी जुबान थी,
तो क्यों रिश्तों को अपने यूँ अज़ान किया॥
To be cont..
राही (अंजाना)
बहुत ही बखूबी से तुमने मुझे नज़रन्दाज़ किया,
जानते हुए भी मुझको क्यूँ अनजान किया,
जब खामोश मोहब्बत ही हमारी जुबान थी,
तो क्यों रिश्तों को अपने यूँ अज़ान किया॥
To be cont..
राही (अंजाना)