बचपन नहीं मरा करता है Nirmal Singhai 8 years ago खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर, केवल जिल्द बदलती पोथी। जैसे रात उतार चाँदनी, पहने सुबह धूप की धोती, वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों! चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।