बदलता है समय किसी को सताए नहीं
ईर्ष्या द्वेष के बीज उगाए नहीं
मिट्टी में मिल जाते हैं महल
उजाड़ कर किसी का खुद को बसाए नहीं
बदलता है समय किसी को सताए नहीं
ईर्ष्या द्वेष के बीज उगाए नहीं
मिट्टी में मिल जाते हैं महल
उजाड़ कर किसी का खुद को बसाए नहीं