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बरखा ऋतु

आज फ़िर मेघा बरसे, रिमझिम – रिमझिम,
मन – मयूर नृत्य कर उठा, छ्मछम – छमछम।
ठंडी – ठंडी पवन चली है,
खिल उठे सारे वन – उपवन।
वृक्ष भी नाचें ,झूम – झूमकर,
लिपटी लताएं चूम – चूमकर,
गीत सुरीला गाती हैं।
बरखा ऋतु आने से आई ,नई कोंपल हर शाख
मेरे मन भी उठी उमांगें, छू लूं मैं आकाश।

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