Site icon Saavan

बरखा की फुहार

तपती धरती पर पड़े, जब बरखा की फुहार,
सोंधी सुगन्ध से महके धरती, ठंडी चले बयार।
मयूर नाचे झूम – झूम कर, बुलबुल राग सुनाए,
तितली प्यारी आए सैर को, कोयल कुहू – कुहू गाए।
मधुकर की मीठी गुंजन है, पपीहा गाए राग – मल्हार,
तपती धरती पर पड़े जब बरखा की फुहार…..

Exit mobile version