गर्मी ऋतु के बाद मे, आती है बरसात
धरती उगती घास औ, तरु में आते पात
तरु में आते पात, दामिनी चहुँ दिश चमके
गिरती जल की बूँद, गगन में बादल दमके
कह पाठक कविराय, पवन शीतल सुखदाई
भर जाते जल श्रोत, गर्मी बाद मे आई
गर्मी ऋतु के बाद मे, आती है बरसात
धरती उगती घास औ, तरु में आते पात
तरु में आते पात, दामिनी चहुँ दिश चमके
गिरती जल की बूँद, गगन में बादल दमके
कह पाठक कविराय, पवन शीतल सुखदाई
भर जाते जल श्रोत, गर्मी बाद मे आई