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बस यूँ ही

तेरे ज़िस्म के पन्ने
बस यूँ ही
पलटता हूँ
मैं तेरे चेहरे में
अपनी पहली
मोहब्बत
ढूंढ़ता हूँ
तेरी रूह से कोई
वास्ता मेरा
तेरे इश्क को मैं
अपना मुकद्दर
समझता हूँ

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