Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
ख़ुशी जिसे कहते हैं
ख़ुशी जिसे कहते हैं, वो चीज ढूंढता हूँ गैरों की इस दुनिया में अपनों को ढूंढता हूँ अकेला तो न था पहले कभी इतना साथ…
कविता : मोहब्बत
नदी की बहती धारा है मोहब्बत सुदूर आकाश का ,एक सितारा है मोहब्बत सागर की गहराई सी है मोहब्बत निर्जन वनों की तन्हाई सी है…
बस यूँ ही
तेरे ज़िस्म के पन्ने बस यूँ ही पलटता हूँ मैं तेरे चेहरे में अपनी पहली मोहब्बत ढूंढ़ता हूँ, तेरी रूह से कोई वास्ता नहीं मेरा…
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