बाट Virendra 3 years ago राधा ने सिर पर धर मटकी बैठी छांव तले वट की जोह रही है श्याम को अखियां दिन बीता अब बीती रतियां श्याम बिना निष्प्राण है गैया देख रही सुध खोकर मैया क्यों निष्ठुर तू बना कन्हाई क्या तनिक भी मेरी याद न आई। वीरेंद्र सेन प्रयागराज