Site icon Saavan

बाट

राधा ने सिर पर
धर मटकी
बैठी छांव तले
वट की
जोह रही है
श्याम को अखियां
दिन बीता अब
बीती रतियां
श्याम बिना निष्प्राण
है गैया
देख रही सुध खोकर
मैया
क्यों निष्ठुर तू
बना कन्हाई
क्या तनिक भी
मेरी याद न आई।
       वीरेंद्र सेन प्रयागराज

Exit mobile version