Site icon Saavan

बावरी

कविता-बावरी
——————–
सुन बावरी
क्यों लड़ती है मुझसे,
एक दिन रूठ जाऊंगा,
तूझे क्या पूरा शहर छोड़ जाऊंगा,
संग में कॉलेज आना जाना,
पार्को में समय बिताना,
होटल में खाना खाना,
फोन पर चैटिंग करना
मेरे खातिर मम्मी पापा से,
चैटिंग नंबर रोज मिटाना,
छत से छिप छिप कर बातें करना,
फिर किसके संग करेगी तू,
जब मैं ही ना रहूं इस दुनिया में,
इसीलिए तो कहता हूं
जब तक हूं मिल ले मुझे से,
जब तक हूं लड़ ले मुझसे,
कहती नहीं क्यों नहीं मन की बात
मैं समझ गया अब
क्यों लड़ती है मुझसे
चल चाह तेरी मैं पूरी कर दूँ,
मम्मी पापा को आज बुला ले,
सिंदूर से तेरी मांग सजा दूं,
मरने का श्राप सदा देती है
क्रोध में आ कर लड़ती है
जिस दिन भर दूँ, मांग मैं,
करवा चौथ का व्रत रखकर,
रहूं सुहागन ईश्वर से वरदान भी मागेगी,
————————————————-
**✍️ ऋषि कुमार प्रभाकर—

Exit mobile version