Site icon Saavan

बेकारी (कुंडलिया छन्द)

बेकारी पर आप कुछ, नया करो सरकार,
युवाजनों को आज है, राहत की दरकार।
राहत की दरकार, उन्हें, वे चिंता में हैं,
पायेंगे या नहीं नौकरी शंका में हैं।
कहे ‘लेखनी’ दूर, करो उनकी आशंका,
आज बजा दो आप, जोश का कोई डंका।
*************************
बेकारी पर नीतियां, बनी अनेकों बार,
लेकिन उस हुआ नहीं, सच्चा सा प्रहार,
सच्चा सा प्रहार, नहीं होने से बढ़कर
बेकारी की बाढ़, चली लहरों सी बनकर।
कहे लेखनी करो, आज ऐसा कुछ नूतन,
जिससे राहत पाए, मेरे मुल्क का युवजन।
————— डॉ0 सतीश चंद्र पाण्डेय।
प्रस्तुति- कुंडलिया छन्द में

Exit mobile version