कुछ जहाँ थे वहीं हैं
कुछ पहुँचे आकाश
कुछ की हालत दीन है
कुछ हैं मालामाल।
बेकारी ने छीन लिया
युवा दिलों का जोश,
मेहनत की मजदूर ने
फिर भी खाली कोष।
फिर भी खाली कोष
कभी कुछ बचा नहीं
रोज कमाया, खाया
हाथ कुछ रहा नहीं।
कुछ के पास अपार
संपदा पड़ी हुई है,
कुछ की निर्धनता
अपने में ही अड़ी हुई है।