सन्नाटे रात के हुए मेरे अपने से
बेचेनीयाँ दिन की हुई पराई सी
गहन अंधेरों में कर मिलन ख़ुद से
खुदी की राह् मिली थी जो पराई सी
……. यूई
सन्नाटे रात के हुए मेरे अपने से
बेचेनीयाँ दिन की हुई पराई सी
गहन अंधेरों में कर मिलन ख़ुद से
खुदी की राह् मिली थी जो पराई सी
……. यूई