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बेटी

हर घर की खुशी व रौनक है बेटी
उसी से दुनियां शुरू व खत्म होती

किलकारी सब को हर्षा जाती
हर मात पिता को ही भा जाती
परिवार एकता का कारण जो
जीवन जीने की प्रेरणा है वो—

दो घर की सुंदरता उससे ही है
बेटों का संबल भी वो ही तो है
फिर भी कमजोर कैसे बन जाती
कैसे दुर्जन का शिकार वो हो जाती

सबला को समाज ने अबला बनाया
ममता का सबने ही फायदा उठाया
शक्ति साहस का वर्षों से प्रतीक बेटी
फिर भी उसे बचाने की जरूरत पड़ी

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