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बेरंग इश्क़

उकेरे कई चित्र प्राण के पृष्ठ पर,

सब मिट-मिट गए एक तू ही सजा।

रंग की कुचियाँ सब हुई बावली,

रंग कोई नहीं मुझमें भर सका।

अर्चना वर्मा

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