बेरंग इश्क़

उकेरे कई चित्र प्राण के पृष्ठ पर,

सब मिट-मिट गए एक तू ही सजा।

रंग की कुचियाँ सब हुई बावली,

रंग कोई नहीं मुझमें भर सका।

अर्चना वर्मा

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अम्मा भई बाँवली..

सीतापुरिया अवधि:- राति क द्याखँइ चांद-सितारा दिनमाँ चांद निहारइ दिन भरि छोटुआ-छोटुआ कहिके अम्मा लाल पुकारइ अम्मा भई बाँवली। टूटी खटिया फटी चटाई जब अम्मा…

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