कोपलें फूटी अनेकों
पेड़ बन पाये नहीं,
झाड़ियां उग आई मन में
बेर लग पाये नहीं ।
स्वाद था मीठा सभी में
जीभ में परतें जमीं थी
इसलिए मीठी नजर
महसूस कर पाये नहीं।
इस तरह हम खुद ही खुद में
स्वाद ले पाये नहीं,
उलझनों में घिरते- घिरते
पेड़ बन पाए नहीं।