बैठा हूँ बीच बाज़ार, लेकर अपनी यादों को
बेशकीमती है यह गहने, इनका कोई मोल नही
आए वोह ले जाएँ मुझसे, बेमौल मेरी जागीरें को
वोह जो हो तपा वर्षो, मेरे जैसे दर्दो की अगन में
वोह जो हो ख़ुद में घुटा, ख़ुद के ही अंधेरों में
…… यूई
बैठा हूँ बीच बाज़ार, लेकर अपनी यादों को
बेशकीमती है यह गहने, इनका कोई मोल नही
आए वोह ले जाएँ मुझसे, बेमौल मेरी जागीरें को
वोह जो हो तपा वर्षो, मेरे जैसे दर्दो की अगन में
वोह जो हो ख़ुद में घुटा, ख़ुद के ही अंधेरों में
…… यूई